नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 18 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के इस्तेमाल से रोकने की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि यह मामला उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है और याचिकाकर्ता को इसके लिए संसद के पास जाना चाहिए।
क्या था मामला?
याचिका में तर्क दिया गया था कि सोशल मीडिया बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। याचिकाकर्ता ने सरकार से अनुरोध किया था कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जाए।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह एक नीतिगत मामला है और इसे तय करने का अधिकार संसद और सरकार का है। कोर्ट ने कहा, “हम किसी विशेष नीति को लागू करने के लिए कार्यपालिका को निर्देश नहीं दे सकते। अगर इस पर कोई कानून बनाना है, तो यह संसद को तय करना होगा।”
सोशल मीडिया और बच्चों पर प्रभाव
विभिन्न अध्ययनों में यह सामने आया है कि सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग बच्चों की मानसिक सेहत, पढ़ाई और सामाजिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। कई देशों में इस पर नियम सख्त किए जा रहे हैं, लेकिन भारत में अभी तक ऐसा कोई स्पष्ट कानून नहीं है।
अब आगे क्या?
याचिकाकर्ता अब इस मुद्दे को संसद और सरकार के सामने रख सकता है। अगर सरकार उचित समझे, तो इस पर कोई नीति या कानून बनाया जा सकता है। फिलहाल, बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा के लिए माता-पिता और स्कूलों की भूमिका अहम मानी जा रही है।